सनातन धर्म रक्षक
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20 दिसम्बर से ले के 27 दिसम्बर तक।
इन्ही सात दिनों में गुरु गोबिंद सिंह जी का पूरा परिवार बलिदान हो गया था ।
इधर हिन्दुस्तान Christmas के जश्न में डूबा एक दूसरे को बधाइयां देता है।
एक वह वक्त भी था जब पंजाब में ये सात दिन हर परिवार जमीन पर सोता था।
क्योंकि माता गूजरी ने ये रातें, दोनों छोटे बच्चो के साथ सरहिन्द के किले में , ठंडी बुर्ज में गुजारी थी -खाली फर्श पर।
जब वो नवाब वजीर खां की गिरफ्त में थीं।
यह सात दिन भारत के इतिहास में शोक का सप्ताह होता है,उत्सव का नही।
आज पंजाब समेत पूरा हिन्दुस्तान जश्न में डूब जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह जी के बलिदान को इस अहसान फरामोश मुल्क ने सिर्फ 300 साल में भुला दिया।
जो सभ्यता अपना इतिहास , अपने नायकों के बलिदान को भूल जाती हैं वो खुद विस्मृत इतिहास बन जाती है।
यह वक्त कोरल संगीत का नही..
बलिदानी गुरु के शोक और स्मृति में डूबने का है।
#यह बलिदान सिर्फ सनातन और हिंदुओं की रक्षा के लिए था पर आज सभी सनातनी इस बलिदान को भूलकर "Happy Christmas" करने में लगा है।
सत्य सनातन जिंदाबाद!जय जय श्री परशुराम
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